Scratching Rocks
sariir-e khamaa...navaa-e sarosh hain
Muddat
अबकी बरसात में कोई वादें नहीं
मौसम का बदलना कोई इनकीलाब नहीं
तुम से भी छूटेंगी वोह यादें
हाथों पर तराशे लकीरें तो नहीं
भूलने की तो हैं सब बातें
आवाज़ भी यह कोई क़यामत तक नहीं
गुज़र भी गयी वोह मेहकी रातें
माहताब की वफ़ा सेहर तक भी नहीं
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